आओ जाने आपकी जन्मकुंडली के अनुसार आपकी दाम्पत्या से जुड़ी समस्याओं के समाधान को।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पंच तारा ग्रहों में शुक्र ग्रह का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। शुक्र ग्रह मानव जीवन के सम्पूर्ण भौतिक सुखों को अपने अंदर समेटे हुये मान वता के भौतिक सुखों का निर्णय करता है शुक्र ग्रह सांसारिक मानव जाति कों मनोरंजन , कला - संगीत , सौंदर्य , प्रेम वासना और सांसारिक सुख-सुविधाओं के संसाधनों से जोड़े रखता है। धर्म ग्रंथों में शुक्र ग्रह को शुक्राचार्य के नाम से दैत्यों के गुरु का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। मानव जीवन के भौतिक संसाधनों से जुड़ी समस्याओं के समाधान या मृत अवस्था तक पहुंचे व्यक्ति को जीवनदान देने में शुक्र ग्रह ही अपने अंदर सामर्थ्य रखता है। देखा जाय तो जहाँ कुबेर के देव ब्रह्स्पति को धन-लक्ष्मी का कारक ग्रह माना जाता है। ठीक इसी प्रकार धन-लक्ष्मी के भोग की शक्ति शुक्र ग्रह में समाहित है । जहाँ भोग का नाम आ जाता है वहीं भौतिक सुख स्वतह ही जुड़ जाता है इस लिये भौतिक सुखों का स्वामी शुक्र ग्रह हर जातक के जीवन में विशेष महत्व रखता है। बात करते हैं आज दाम्पत्या जीवन से जुड़ रही समस्याओं की- भारतीय फलित ज्योतिष में स्त्री तत्व से जुड़े शुक्र ग्रह को