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Showing posts from April, 2018

व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है कुंडली में बना कालसर्प दोष।

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वर्तमान समय में अक्सर देखा जाय तो   किसी भी ज्योतिषीय के द्वारा बताएगयेकुंडली में बने कालसर्प दोष का नाम सुनते ही व्यक्ति घबरा जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष का पाया जाना कोई बहुत बड़ी घटना नहीं मानी जाती है। देखा जाता है कि 70 प्रतिशत लोगों की कुंडली में यह दोष होता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जी की कुंडली में भी यह दोष था और तो और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की कुंडली भी कालसर्प दोष से प्रभावित थी लेकिन फिर भी दोनों व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में नाम और मान-सम्मान प्राप्त करने में सफल रहे। कालसर्प दोष कुंडली में खराब जरूर माना जाता है किन्तु विधिवत तरह से यदि इसका उपाय किया जाए तो यही कालसर्प दोष सिद्ध योग भी बन सकता है। यह कालसर्प दोष किस प्रकार से व्यक्ति को प्रभावित करता है - जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु   और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जा

18 अप्रैल को हो रहा है शनि वक्री कर सकता है इन पाँच राशि वालों को प्रभावित।

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इस वर्ष 18 अप्रैल 2018 (बुधवार) को सुबह 7.10 बजे शनि धनु राशि में वक्री हो रहे हैं। शनि ग्रह की वक्र गति 6 सितंबर 2018 (गुरुवार) को सायं 05.02 बजे तक रहेगी उसके बाद धनु राशि में ही शनि वक्री से मार्गी हो जाएंगे। इस तरह कुल 142 दिन शनि वक्री रहेंगे जिसका सभी राशियों पर न्यूनाधिक असर पड़ेगा। जिन राशियों को शनि की ढैय्या अथवा साढ़े साती अथवा महादशा चल रही हैं, वो शनि की इस वक्र गति से सर्वाधिक प्रभावित होंगे। पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा के अनुसार शनि का वक्री होना भी कई राशियों के लिए बहुत ही शुभ रहने वाला है तो जानिए वक्री शनि किन राशियों के लिए शुभ और अशुभ रहेंगे। मेष - गोचर के अनुसार शनि के मेष राशि से नवम भाव में स्थित होने के कारण यह समय कठिन रहने वाला है। इस समय कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन धैर्य रखें और प्रयास करते रहें, शनि की क्रूर दृष्टि के चलते आपकी प्रगति की रफ्तार धीमी रहेगी और नित नई उलझनों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन इस वर्ष आप अपने सभी विरोधियों पर भारी पड़ेंगे और उन्हें आपके आगे हार माननी होगी। वृषभ- गोचर कुंडली के अनुसार शनि आठवें भाव में

जानिए कब और कैसे बनाता है जेल यात्रा का योग ।

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भारतीय अखंड प्राचीन ज्योतिष विद्या   के अनुसार शनि , मंगल और राहू मुख्य रूप से यह तीन ग्रह कारावास के योग को निर्मित करने में मुख्य भूमिका निभाते है I इनके अतिरिक्त सभी लग्नों के द्वादेश , षष्ठेश एवम अष्टमेश भी इस तरह के योग बनाने में अपनी भूमिका निभाते है I इसके साथ साथ यदि महादशा , अंतर्दशा भी अशुभ ग्रहों की हो तो भी कारावास योग घटित होने के लिए उपयुक्त स्थिति बन जाती है और इस प्रकार की घटना हो सकती है, कई बार तो ऐसी स्थिति में निरपराध व्यक्ति को भी जेल जाना पड़ता है I कई बार जन्मकुंडली में ही ऐसे योग बनते है तो कई बार ग्रहों की गोचरीय स्थिति के कारण एवं दशा अंतर्दशा के कारण अल्प समय के लिए ऐसे योग बन जाते है I जन्म कुंडली में अष्टम भाव का नीचस्थ राहू अपनी महादशा एवं अंतरदशा के दौरान जातक के जीवन में अनेक संकट खड़े करता है। इस दशा में उक्त व्यक्ति झूठे आरोप, गंभीर बीमारी, दुर्घटना, कर्ज में अनिश्चित वृद्धि, अवसाद ग्रस्त हो जाता है, जिसे ज्योतिषाचार्य जेल योग कहते हैं। जन्मकुंडली में सूर्यादि ग्रह समान संख्या में लग्न एवं द्वादश , तृतीय एवं एकादश , चतुर्थ दशम , षष्ठ एवं अष्

जानिए रत्न कब और कैसे धारण करें और रत्न धारण करने का महत्व ।

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प्राचीनकाल से ही रत्न मनुष्य के जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाते है, यह व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करते है | रत्नो का प्रयोग आभूषणों और ज्योतिषी उद्देश्य के लिए किया जाता है | कुछ लोग इसे शोकियां तोर पर पहनते है और कुछ लोग ज्योतिष की सलाह के अनुसार | प्रत्येक ग्रह एक निश्चित रत्न के साथ जुड़ा हुआ है। ज्योतिष के अनुसार 27 नक्षत्र हैं एवं हर नक्षत्र नौ ग्रहों से जुड़ा हुआ है। इसलिए हर नक्षत्र के लिए रत्न उपलब्ध है।   ज्योतिष चंद्रमा राशि या एक व्यक्ति के लग्न या फिर जन्म कुंडली में लागू होने वाले नक्षत्र के आधार पर रत्न पहनने की सलाह देते हैं| अनुभवी ज्योतिष जन्म कुंडली का विस्तारपूर्वक अध्ययन करने के बाद आपकी वर्तमान समस्या को ध्यान में रखते हुए, रत्न पहनने की सलाह देते हैं या फिर कुछ रोगों को ठीक करने और जीवन के कुछ मामलों को सुलझानें के लिए भी रत्न पहनने की सलाह देते है|किसी भी रत्न को पहनने से पहले किसी ज्योतिष से सलाह जरुर लें। कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरीत प्रभाव भी दे सकते हैं, इसलिए बिना किसी से पूछे रत्न धारण नहीं करना चाहिए।बुधवार के दिन कनिष्ठा उंगली में पन्ना धारण व

जानिए कैसे प्रश्न कुंडली की सहायता से जान सकते हैं अपने सवालों का जवाब।

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श्न ज्योतिष , ज्योतिष कि वह कला है जिससे आप अपने मन की कार्यसिद्धि को जान सकते है। कोई घटना घटित होगी या नहीं , यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। प्रश्न ज्योतिष मै उदित लगन के विषय में कहा जाता है कि लग्न मे उदित राशि के अंश अपना विशेष महत्व रखते है। प्रश्न ज्योतिष में प्रत्येक भाव , प्रत्येक राशि अपना विशेष अर्थ रखती है। ज्योतिष की इस विधा में लग्न में उदित लग्न , प्रश्न करने वाला स्वयं होता है। सप्तम भाव उस विषय वस्तु के विषय का बोध कराता है जिसके बारे मे प्रश्न किया जाता है। प्रश्न किस विषय से सम्बन्धित है यह जानने के लिये जो ग्रह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है , उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है या जो ग्रह कुण्डली मै बलवान हो लग्नेश से सम्बन्ध बनाये उस ग्रह से जुडा प्रश्न हो सकता है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न का समय बहुत मायने रखता है , इसलिए प्रश्न का समय कैसे निर्धारित किया जाता है इसे अहम विषय माना जाता है।प्रश्न ज्योतिष शास्त्र में प्रश्न के समय व स्थान पर खगोलीय ग्रह स्थिति को आधार मानकर ज्योतिषी प्रश्नकर्ता की समस्या का समाधान ढूंढता है। अब प्रश्न उठता है कि ज