जानिए कब और कैसे बनता है जन्मकुंडली में नीचभंग राजयोग।
ज्योतिष
शास्त्र में 'नीचभंग
राजयोग' को
अत्यंत शुभ माना गया है। जिस
जातक की जन्मपत्रिका में
'नीचभंग
राजयोग' होता
है उसे अपने जीवन में धन,
पद,
प्रतिष्ठा,
स्त्री,
पुत्र,
आरोग्य आदि
का सुख प्राप्त होता है। आइए
जानते हैं कि जन्मपत्रिका
में 'नीचभंग
राजयोग' का
सृजन कैसे होता है? भारतीय
वैदिक ज्योतिषशास्त्र में
नीच भंग राजयोग से सम्बंधित
नियम का निर्धारण किया गया
है जिसके अनुसार किन किन
परिस्थितियों में नीच के ग्रह
भी शुभ फल प्रदान करते है।प्रत्येक
जन्मकुंडली में ग्रह किसी न
किसी राशि में बैठा होता है
। राशि तथा राशि के स्वामी के
आधार पर ग्रह की उच्च,
नीच,
मित्र क्षेत्री,
शत्रु क्षेत्री
इत्यादि का निर्धारण किया
जाता है । उदहारण स्वरूप
वृहस्पति कर्क राशि में उच्च
का होता है तो मकर राशि में
नीच का होता है सामान्यतः जो
ग्रह जिस राशि में उच्च का
होता है उससे सातवे स्थान में
नीच का होता है इसके विपरीत
यथा मंगल ग्रह कर्क राशि में
नीच का होता है तो उससे सातवां
स्थान मकर राशि का होता है अतः
मंगल मकर में उच्च का होगा ।
इसी प्रकार अन्य ग्रह
भी अपने
नीच स्थान से सातवे स्थान में
उच्च का भी होता है तथा अपने
उच्च स्थान से सातवे स्थान
पर नीच का होता है। ग्रहो की
उच्च नीच अवस्था के आधार पर
ज्योतिषी सम्बंधित ग्रह का
फल कथन करता है परंतु किसी भी
ज्योतिषी को केवल उच्च नीच
को देखकर फल कथन नहीं करना
चाहिए ऐसा करने पर फल की सत्यता
में संदेह संभावित है। यदि
जन्मपत्रिका में नीचराशिस्थ
ग्रह का राशि स्वामी या नीचराशिस्थ
ग्रह की उच्च राशि का स्वामी
चन्द्र से केन्द्र में हो एवं
उस पर कोई पाप प्रभाव नहीं हो
तो जन्मपत्रिका में 'नीचभंग
राजयोग' का
सृजन होता है। ऐसी ग्रहस्थिति
में नीचराशिस्थ ग्रह की नीचता
भंग हो जाती है और वह अत्यन्त
शुभफलप्रद हो जाता है। यदि
जन्मपत्रिका में नीचराशिस्थ
ग्रह का राशि स्वामी या नीचराशिस्थ
ग्रह की उच्च राशि का स्वामी
लग्न से केन्द्र में हो एवं
उस पर कोई पाप प्रभाव नहीं हो
तो जन्मपत्रिका में 'नीचभंग
राजयोग' का
सृजन होता है। यदि जन्मपत्रिका
में नीचराशिस्थ ग्रह की राशि
अपने स्वामी द्वारा दृष्ट हो
एवं उस पर कोई पाप प्रभाव नहीं
हो तो जन्मपत्रिका में 'नीचभंग
राजयोग' का
सृजन होता है। ऐसी ग्रहस्थिति
में नीचराशिस्थ ग्रह की नीचता
भंग हो जाती है और वह अत्यन्त
शुभफलप्रद हो जाता है। यदि
कोई ग्रह अगर अपनी नीच राशि
में बैठा है या शत्रु भाव में
है तो आम सोच यह होती है कि जब
उस ग्रह की दशा अंतर्दशा आएगी
तब वह जिस घर अथवा भाव में बैठा
है उस घर से सम्बन्धित विषयों
में नीच अर्थात अशुभ फल प्रदान
करेगा परन्तु मेरे अनुसार
हमेशा ऐसा नहीं होता है। कभी
कभी अन्य ग्रहों तथा भाव के
अनुसार ऐसे ग्रह भी राजयोग
की तरह ही फल देता हैं । इसी
कारण इस ग्रह से बनने वाले योग
को नीच भंग राजयोग कहा जाता
हैं। यदि आप भी अपनी कुंडली
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