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मानसिक शांति आत्मविश्वास के लिए धारण करें चंद्र यंत्र

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कुंडली (Horoscope) में चंद्र वह ग्रह है जो सबसे अधिक गति से चलता है | चंद्र हमारी कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है और मन का कारक होता है | यह आपका मन (Mind) और भावनाएं ( Emotions ) के साथ ही मस्तिष्क ,बुद्धिमता (Intelligence) ,स्वभाव, रोगों, गर्भाशय इत्यादि दर्शाता है | अगर आपकी कुंडली में   चंद्र ग्रह कमज़ोर हो   तो इन सभी की का सामना करना पढ़ता है | अगर आप आत्मविश्वास (Self Confidence) की कमी या डिप्रेशन (Depression) के शिकार हैं या अगर आप अपना कोई मकान या भूमि नहीं खरीद पा रहे हैं तो इसका कारण है आपकी कुंडली में चंद्र (Chandra) ग्रह का कमज़ोर होना | इसके लिए आपको अभी ऑर्डर करना होगा आचार्य इंदु प्रकाश जी (Acharya Indu Prakash Ji) की देख रेख में सिद्ध किया गया चंद्र यंत्र (Chandra Yantra) | श्री चंद्र यंत्र का नितमित पूजन आपको बहुत लाभ प्रदान करेगा | – अगर आप चंद्र यंत्र (Chandra Yantra) का पूजन कर इसकी स्थापना करते हैं तो यह आपके मन को शांति देगा और साथ ही आपका मानसिक स्वास्थ अच्छा रहेगा | – यह आपके व्यक्तित्व (Personality) को निखारने का काम करता है | – आपक...

क्या है चातुर्मास ? इस दौरान क्यों नही करते कोई शुभ कार्य ?

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15 जुलाई, 2019 से से चार महीने का पर्व यानि चातुर्मास (Chaturmas 2019) शुरु होगा | माना जाता है की इन महीनों में व्रत और पूजा कर विशेष फल प्राप्त होता है | यह पर्व सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीनों के दौरान मनाया जाता है |देव शयन एकादशी से शुरू होने वाला चातुर्मास कार्तिक के देव प्रबोधिनी एकादशी तक मनाया जाता है | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित होता है | माना जाता है की अषाढ़ के महीने में ही भगवान विष्णु ने अपने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग में सारी सृष्टी दान में ले ली थी | उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक की रक्षा करने का वचन दिया था | फलस्वरूप श्री हरि अपने समस्त स्वरूपों से राजा बलि के राज्य की पहरेदारी करते हैं. इस अवस्था में कहा जाता है कि भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के दौरान खान-पान में बदलाव भी किया जाते हैं | इस वक्त हमें जल का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप आचार्य इंदु प्रकाश जी से मील सकते है...

व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है कुंडली में बना कालसर्प दोष।

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वर्तमान समय में अक्सर देखा जाय तो   किसी भी ज्योतिषीय के द्वारा बताएगयेकुंडली में बने कालसर्प दोष का नाम सुनते ही व्यक्ति घबरा जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष का पाया जाना कोई बहुत बड़ी घटना नहीं मानी जाती है। देखा जाता है कि 70 प्रतिशत लोगों की कुंडली में यह दोष होता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जी की कुंडली में भी यह दोष था और तो और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की कुंडली भी कालसर्प दोष से प्रभावित थी लेकिन फिर भी दोनों व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में नाम और मान-सम्मान प्राप्त करने में सफल रहे। कालसर्प दोष कुंडली में खराब जरूर माना जाता है किन्तु विधिवत तरह से यदि इसका उपाय किया जाए तो यही कालसर्प दोष सिद्ध योग भी बन सकता है। यह कालसर्प दोष किस प्रकार से व्यक्ति को प्रभावित करता है - जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु   और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्...

जानिए रत्न कब और कैसे धारण करें और रत्न धारण करने का महत्व ।

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प्राचीनकाल से ही रत्न मनुष्य के जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाते है, यह व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करते है | रत्नो का प्रयोग आभूषणों और ज्योतिषी उद्देश्य के लिए किया जाता है | कुछ लोग इसे शोकियां तोर पर पहनते है और कुछ लोग ज्योतिष की सलाह के अनुसार | प्रत्येक ग्रह एक निश्चित रत्न के साथ जुड़ा हुआ है। ज्योतिष के अनुसार 27 नक्षत्र हैं एवं हर नक्षत्र नौ ग्रहों से जुड़ा हुआ है। इसलिए हर नक्षत्र के लिए रत्न उपलब्ध है।   ज्योतिष चंद्रमा राशि या एक व्यक्ति के लग्न या फिर जन्म कुंडली में लागू होने वाले नक्षत्र के आधार पर रत्न पहनने की सलाह देते हैं| अनुभवी ज्योतिष जन्म कुंडली का विस्तारपूर्वक अध्ययन करने के बाद आपकी वर्तमान समस्या को ध्यान में रखते हुए, रत्न पहनने की सलाह देते हैं या फिर कुछ रोगों को ठीक करने और जीवन के कुछ मामलों को सुलझानें के लिए भी रत्न पहनने की सलाह देते है|किसी भी रत्न को पहनने से पहले किसी ज्योतिष से सलाह जरुर लें। कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरीत प्रभाव भी दे सकते हैं, इसलिए बिना किसी से पूछे रत्न धारण नहीं करना चाहिए।बुधवार के दिन कनिष्ठा उंगली में पन्ना धा...

जानिए कैसे प्रश्न कुंडली की सहायता से जान सकते हैं अपने सवालों का जवाब।

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श्न ज्योतिष , ज्योतिष कि वह कला है जिससे आप अपने मन की कार्यसिद्धि को जान सकते है। कोई घटना घटित होगी या नहीं , यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। प्रश्न ज्योतिष मै उदित लगन के विषय में कहा जाता है कि लग्न मे उदित राशि के अंश अपना विशेष महत्व रखते है। प्रश्न ज्योतिष में प्रत्येक भाव , प्रत्येक राशि अपना विशेष अर्थ रखती है। ज्योतिष की इस विधा में लग्न में उदित लग्न , प्रश्न करने वाला स्वयं होता है। सप्तम भाव उस विषय वस्तु के विषय का बोध कराता है जिसके बारे मे प्रश्न किया जाता है। प्रश्न किस विषय से सम्बन्धित है यह जानने के लिये जो ग्रह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है , उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है या जो ग्रह कुण्डली मै बलवान हो लग्नेश से सम्बन्ध बनाये उस ग्रह से जुडा प्रश्न हो सकता है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न का समय बहुत मायने रखता है , इसलिए प्रश्न का समय कैसे निर्धारित किया जाता है इसे अहम विषय माना जाता है।प्रश्न ज्योतिष शास्त्र में प्रश्न के समय व स्थान पर खगोलीय ग्रह स्थिति को आधार मानकर ज्योतिषी प्रश्नकर्ता की समस्या का समाधान ढूंढता है। अब प्रश्न उठता है कि ज...

जन्म पत्रिका के द्वादश भावो में राहु ग्रह का प्रभाव।

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भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह को छाया ग्रह माना जाता है। राहु ग्रह व्यक्ति को अनुभ ही बल्कि व्यक्ति को शुभ फल से प्रभावित भी करता है आओ जानते हैं राहु के द्वादश भावों में शुभ - अशुभ फल को । - प्रथम भाव : दुष्ट बुद्धि , दुष्ट स्वभाव , सम्बन्धियों को ठगने वाला , मस्तक का रोगी , विवाद में विजय व रोगी होता हैं। द्वितीय भाव : कठोर कर्मी , धन नाशक , दरिद्र , भ्रमणशीला होता हैं। तृतीय भाव : शत्रुओं के ऐश्वर्य को नष्ट करने वाला , लोक में यशस्वी , कल्याण व ऐश्वर्य पाने वाला , सुख व विशाल को पाने वाला , भाईयों की मृत्यु करने वाला , पशु नाशक , दरिद्र , पराक्रमी होता हैं। चतुर्थ भाव : दुखी , पुत्र - मित्र सुख रहित , निरतंर भ्रमणशील व उदर रोगी बनाता हैं। पंचम भाव : सुखहीन , मित्रहीन , उदर - शुल रोगी , विलास में पीड़ा , भ्रमित व उदर रोगी बनाता हैं। षष्ठ भाव : शत्रु बल नाशक , द्रव्य लाभ पाने वाला , कमर में दर्द , म्लेच्छो से मित्रता व बलवान होता हेै। सप्तम भाव : स्त्री विरोधी , स्त्री नाशक , प्रचण्ड क्रोधी , स्त्री से विवाद करने वाला , रोगी स्त्री प्राप्त करता हैं...

जानिए क्या है भाग्य ?

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भारतीय ज्योतिष में कर्म के साथ-साथ भाग्य को भी एक सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। क्योंकि बिना भाग्य का मानव जीवन अधूरा जैसा दिखाई देता है। व्यक्ति कर्म करे पर उसका पूर्ण फल न मिले यह भाग्य का साथ न देना भी माना जाता है। मानव जीवन में हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह हर प्रकार के भौतिक सुख सुविधाएँ प्राप्त करें। जब व्यक्ति की मनवांछित   भौतिक सुख सुविधाएं पूर्ण होने लगती है तो इसी स्थिति में ज्योतिषशास्त्र की भाषा में भाग्योदय कहते हैं।प्राचीन काल से ही सदैव जातक यानि व्यक्ति की अभिलाषाएं असीमित रही है। व्यक्ति अपने जीवन काल में वह सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहता है जिसके लिए वह व्यक्ति योग्य ही न हो या जो उसकी क्षमता से बहुत ही दूर हो। अदाहरण दे कर बात करें तो जैसे   एक भिखारी अपनी तुलना किसी नगर सेठ से करना चाहे तो ऐसा कभी नहीं होगा| न ही ऐसी किसी स्थिति को भाग्योदय से जोड़ना ही चाहिए। जन्मकुंडली व्यक्ति के जीवन का पूर्णसत्य खाका माना जाता है। जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होना परम आवश्यक है  भाग्य से संबंधित ग्रहों का शुभ होना तथा उनकी दशा-महादशा का ...

जानिए आपकी जन्मकुंडली का आपके भाग्य से क्या संबंध है।

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इस चारचर जगत में मनुष्य अपने को श्रेष्ठ बनने के लिए अनेकों कठिन से कठिन मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ता पर भाग्य यदि कमजोर हो तो वह सारी मेहनत असफल साबित हो जाती है इस लिए कर्म के साथ भाग्य भी अपने स्थान पर एक महत्व पूर्ण स्थान बनाए रखा हुआ है। मानव जीवन के भाग्य में वृद्धि लाने के लिए अखंड ज्योतिषशास्त्र का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। ज्योतिषशास्त्र एक ऐसा अद्भुत अखंड विज्ञान है। जो मानव जीवन के हर प्रकार के शुभ-अशुभ जैसे कठिन मार्गों को सरल व सफल बनाने में अपने आप में समर्थ है। बात करते हैं भाग्य का मानव जीवन में क्या योगदान है , क्या है ज्योतिषशास्त्र में भाग्य का स्थान ?- ज्योतिष शास्त्र को ऐसे समझ सकते हो कि परमात्मा हमारा हाथ पकड़कर हमे भाग्य तक नही पहुंचता बल्कि हमे सरल मार्ग का मार्ग बतलाता है। उसी तरह ज्योतिष शास्त्र आपके भाग्य वृद्धि के लिए अनेक मार्ग बुनता है और जातक को अनेक उपाय देता है   जिनकी मदद से वह व्यक्ति अपने भाग्य में वृद्धि कर सके। कालपुरुष यानि अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली के 9 वें भाव को भाग्य भाव कहा गया है। व्यक्ति को अपने जीवन...