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जानिए अपनी जन्मराशि द्वारा अपना कैरियर किस दिशा में बनायें

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विश्व में प्रसिद्ध प्राचीन ज्योतिषशास्त्र विद्या द्वादश राशियों में समाहित पूरे विश्व में हर प्राणी के ऊपर अपना अद्भुत प्रभाव बनाए रखे हुए है। यही द्वादश राशियाँ मानव जीवन के जन्मराशि द्वारा हर मार्ग का चयन करती हुयी मानव प्राणी को बतलाती है कि किस राशि के जातक को कौन सा कार्य फलदायी रहेगा और कौन सा कार्य असफल रहेगा। हर जातक कि जन्मकुंडली में कुछ न कुछ योग - युति परिवर्तन रहती है और उन शुभ अशुभ योग - युतियों से वह अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करता है और जितना लेखा जोखा लिख के धरती में आता है उसको ले कर पुनः दूसरी योनि में चले जाता है पर कुंडली में बने अशुभ योगों को शुभ में परिवर्तन कर अपने भौतिक जीवन को और भी सुखमय बनाकर व्यतीत कर सकते है बात करते है जातक कि जन्मराशि के अनुसार व्यक्ति का जीवन किस कार्य हेतु फल दायी रहेगा व किस तरह समाज में अपना प्रभुत्व बनाए रखेगा। हर व्यक्ति अछी - ख़ासी पढ़ाई - लिखाई कर के अपने केरियर को अच्छा व आगे बढ़ाने में अनेकों प्रयास करता रहता है और अपने मन में एक ही बात सोचता रहता है कि जीवन में कैसे आगे बढ़ूँ और समाज में कैसे श्रेष्ठ दिखूँ यह सारा खेल व्यक्...

जानिए आपकी जन्मकुंडली का आपके भाग्य से क्या संबंध है।

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इस चारचर जगत में मनुष्य अपने को श्रेष्ठ बनने के लिए अनेकों कठिन से कठिन मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ता पर भाग्य यदि कमजोर हो तो वह सारी मेहनत असफल साबित हो जाती है इस लिए कर्म के साथ भाग्य भी अपने स्थान पर एक महत्व पूर्ण स्थान बनाए रखा हुआ है। मानव जीवन के भाग्य में वृद्धि लाने के लिए अखंड ज्योतिषशास्त्र का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। ज्योतिषशास्त्र एक ऐसा अद्भुत अखंड विज्ञान है। जो मानव जीवन के हर प्रकार के शुभ-अशुभ जैसे कठिन मार्गों को सरल व सफल बनाने में अपने आप में समर्थ है। बात करते हैं भाग्य का मानव जीवन में क्या योगदान है , क्या है ज्योतिषशास्त्र में भाग्य का स्थान ?- ज्योतिष शास्त्र को ऐसे समझ सकते हो कि परमात्मा हमारा हाथ पकड़कर हमे भाग्य तक नही पहुंचता बल्कि हमे सरल मार्ग का मार्ग बतलाता है। उसी तरह ज्योतिष शास्त्र आपके भाग्य वृद्धि के लिए अनेक मार्ग बुनता है और जातक को अनेक उपाय देता है   जिनकी मदद से वह व्यक्ति अपने भाग्य में वृद्धि कर सके। कालपुरुष यानि अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली के 9 वें भाव को भाग्य भाव कहा गया है। व्यक्ति को अपने जीवन...

जानिये ज्योतिषशास्त्र के अनुसार क्यों आती है व्यवसाय में बाधायेँ ।

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प्राचीन काल से चली आ रही रीति से व्यक्ति सदैव दो रास्तों पर चलता आ रहा है वह अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के अनुसार अपनी आजीविका के साधन को चुनता रहता है कभी वह अपने खुद के व्यवसाय के पीछे दौड़ता है तो कभी वह नौकरी करने के लिए घर से दूर चला जाता है। परन्तु फिर भी मन में सोचता रहता है की काश  मेरा अपना काम यानि व्यवसाय होता तो आराम से अपनी आजीविका को घर बैठे चला लेता। धीरे-धीरे समाज में आगे बढ़ते हुए एक दिन वह बिना किसी के राय के सोचे समझे वह उत्साह पूर्वक अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता है। और अपने जीवन काल में अजीवाका चलाने के लिए आगे बढ्ने लगता है परन्तु इसके बावजूद भी कई बार उसे अपने अनुकूल या लाभदायक व्यवसाय में परिवर्तन करना पड़ता है। इसके कई कारण हैं परन्तु बात करते हैं ज्योतिष शास्त्र द्वारा व्यवसाय के बार-बार परिवर्तन के और उनसे जुड़ रही बाधाओं की। भारतीय ज्योतिषशास्त्र को एक प्रत्यक्ष शास्त्र माना गया है जो व्यक्ति के जन्म से पूर्व व मृत्यु के बाद तक का जीवन काल को बताने में दृढ़ संकल्पित है। यदि कोई भी व्यक्ति ज्योतिषशास्त्र के द्वारा निर्मित अपनी जन्मकुंडली के अनुसार अपने...