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क्या है चातुर्मास ? इस दौरान क्यों नही करते कोई शुभ कार्य ?

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15 जुलाई, 2019 से से चार महीने का पर्व यानि चातुर्मास (Chaturmas 2019) शुरु होगा | माना जाता है की इन महीनों में व्रत और पूजा कर विशेष फल प्राप्त होता है | यह पर्व सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीनों के दौरान मनाया जाता है |देव शयन एकादशी से शुरू होने वाला चातुर्मास कार्तिक के देव प्रबोधिनी एकादशी तक मनाया जाता है | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित होता है | माना जाता है की अषाढ़ के महीने में ही भगवान विष्णु ने अपने वामन रूप में राजा बलि से तीन पग में सारी सृष्टी दान में ले ली थी | उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक की रक्षा करने का वचन दिया था | फलस्वरूप श्री हरि अपने समस्त स्वरूपों से राजा बलि के राज्य की पहरेदारी करते हैं. इस अवस्था में कहा जाता है कि भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के दौरान खान-पान में बदलाव भी किया जाते हैं | इस वक्त हमें जल का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए | चातुर्मास (Chaturmas 2019) के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप आचार्य इंदु प्रकाश जी से मील सकते है...

जानिए कैसे प्रश्न कुंडली की सहायता से जान सकते हैं अपने सवालों का जवाब।

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श्न ज्योतिष , ज्योतिष कि वह कला है जिससे आप अपने मन की कार्यसिद्धि को जान सकते है। कोई घटना घटित होगी या नहीं , यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। प्रश्न ज्योतिष मै उदित लगन के विषय में कहा जाता है कि लग्न मे उदित राशि के अंश अपना विशेष महत्व रखते है। प्रश्न ज्योतिष में प्रत्येक भाव , प्रत्येक राशि अपना विशेष अर्थ रखती है। ज्योतिष की इस विधा में लग्न में उदित लग्न , प्रश्न करने वाला स्वयं होता है। सप्तम भाव उस विषय वस्तु के विषय का बोध कराता है जिसके बारे मे प्रश्न किया जाता है। प्रश्न किस विषय से सम्बन्धित है यह जानने के लिये जो ग्रह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है , उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है या जो ग्रह कुण्डली मै बलवान हो लग्नेश से सम्बन्ध बनाये उस ग्रह से जुडा प्रश्न हो सकता है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न का समय बहुत मायने रखता है , इसलिए प्रश्न का समय कैसे निर्धारित किया जाता है इसे अहम विषय माना जाता है।प्रश्न ज्योतिष शास्त्र में प्रश्न के समय व स्थान पर खगोलीय ग्रह स्थिति को आधार मानकर ज्योतिषी प्रश्नकर्ता की समस्या का समाधान ढूंढता है। अब प्रश्न उठता है कि ज...

जानिए आपकी जन्मकुंडली का आपके भाग्य से क्या संबंध है।

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इस चारचर जगत में मनुष्य अपने को श्रेष्ठ बनने के लिए अनेकों कठिन से कठिन मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ता पर भाग्य यदि कमजोर हो तो वह सारी मेहनत असफल साबित हो जाती है इस लिए कर्म के साथ भाग्य भी अपने स्थान पर एक महत्व पूर्ण स्थान बनाए रखा हुआ है। मानव जीवन के भाग्य में वृद्धि लाने के लिए अखंड ज्योतिषशास्त्र का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। ज्योतिषशास्त्र एक ऐसा अद्भुत अखंड विज्ञान है। जो मानव जीवन के हर प्रकार के शुभ-अशुभ जैसे कठिन मार्गों को सरल व सफल बनाने में अपने आप में समर्थ है। बात करते हैं भाग्य का मानव जीवन में क्या योगदान है , क्या है ज्योतिषशास्त्र में भाग्य का स्थान ?- ज्योतिष शास्त्र को ऐसे समझ सकते हो कि परमात्मा हमारा हाथ पकड़कर हमे भाग्य तक नही पहुंचता बल्कि हमे सरल मार्ग का मार्ग बतलाता है। उसी तरह ज्योतिष शास्त्र आपके भाग्य वृद्धि के लिए अनेक मार्ग बुनता है और जातक को अनेक उपाय देता है   जिनकी मदद से वह व्यक्ति अपने भाग्य में वृद्धि कर सके। कालपुरुष यानि अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली के 9 वें भाव को भाग्य भाव कहा गया है। व्यक्ति को अपने जीवन...

जानिये ज्योतिषशास्त्र के अनुसार क्यों आती है व्यवसाय में बाधायेँ ।

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प्राचीन काल से चली आ रही रीति से व्यक्ति सदैव दो रास्तों पर चलता आ रहा है वह अपनी योग्यताओं और क्षमताओं के अनुसार अपनी आजीविका के साधन को चुनता रहता है कभी वह अपने खुद के व्यवसाय के पीछे दौड़ता है तो कभी वह नौकरी करने के लिए घर से दूर चला जाता है। परन्तु फिर भी मन में सोचता रहता है की काश  मेरा अपना काम यानि व्यवसाय होता तो आराम से अपनी आजीविका को घर बैठे चला लेता। धीरे-धीरे समाज में आगे बढ़ते हुए एक दिन वह बिना किसी के राय के सोचे समझे वह उत्साह पूर्वक अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता है। और अपने जीवन काल में अजीवाका चलाने के लिए आगे बढ्ने लगता है परन्तु इसके बावजूद भी कई बार उसे अपने अनुकूल या लाभदायक व्यवसाय में परिवर्तन करना पड़ता है। इसके कई कारण हैं परन्तु बात करते हैं ज्योतिष शास्त्र द्वारा व्यवसाय के बार-बार परिवर्तन के और उनसे जुड़ रही बाधाओं की। भारतीय ज्योतिषशास्त्र को एक प्रत्यक्ष शास्त्र माना गया है जो व्यक्ति के जन्म से पूर्व व मृत्यु के बाद तक का जीवन काल को बताने में दृढ़ संकल्पित है। यदि कोई भी व्यक्ति ज्योतिषशास्त्र के द्वारा निर्मित अपनी जन्मकुंडली के अनुसार अपने...