जानिए नव देवियों में मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप व महत्व ।

नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है।भगवती की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। तप व संयम का आचरण करने वाली भगवती को ही ब्रह्मचारिणी कहा गया। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योति से परिपूर्ण व आभामय है। माता के दाहिने हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमंडल है। देवी के इस स्वरूप की पूजा और साधना से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र इस प्रकार है - “ या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम :’’ ।। इसका अर्थ है , ' हे मां ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे , आपको मेरा बार - बार नमस्कार करता हूँ मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। माता का आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रम्चारिणी के स्वरूप का पूजन , ध्यान , जप आदि किया जाता है | और माता अपने भक्तों पर सादा अपनी कृपा बनाये रखती है | किसी समस्या या जानकारी के लिए आप विश्व विख्यात ज्योतिष श...