जानिए आपकी जन्मकुंडली का आपके भाग्य से क्या संबंध है।



इस चारचर जगत में मनुष्य अपने को श्रेष्ठ बनने के लिए अनेकों कठिन से कठिन मेहनत करने में कसर नहीं छोड़ता पर भाग्य यदि कमजोर हो तो वह सारी मेहनत असफल साबित हो जाती है इस लिए कर्म के साथ भाग्य भी अपने स्थान पर एक महत्व पूर्ण स्थान बनाए रखा हुआ है। मानव जीवन के भाग्य में वृद्धि लाने के लिए अखंड ज्योतिषशास्त्र का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। ज्योतिषशास्त्र एक ऐसा अद्भुत अखंड विज्ञान है। जो मानव जीवन के हर प्रकार के शुभ-अशुभ जैसे कठिन मार्गों को सरल व सफल बनाने में अपने आप में समर्थ है। बात करते हैं भाग्य का मानव जीवन में क्या योगदान है,क्या है ज्योतिषशास्त्र में भाग्य का स्थान ?- ज्योतिष शास्त्र को ऐसे समझ सकते हो कि परमात्मा हमारा हाथ पकड़कर हमे भाग्य तक नही पहुंचता बल्कि हमे सरल मार्ग का मार्ग बतलाता है। उसी तरह ज्योतिष शास्त्र आपके भाग्य वृद्धि के लिए अनेक मार्ग बुनता है और जातक को अनेक उपाय देता है
 जिनकी मदद से वह व्यक्ति अपने भाग्य में वृद्धि कर सके। कालपुरुष यानि अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली के 9वें भाव को भाग्य भाव कहा गया है। व्यक्ति को अपने जीवन में कर्म का फल न मिलने के लिए इस जगत में किसी अच्छे ज्योतिषीय से अपनी जन्मकुंडली के अनुसार अपने भाग्य की वृद्धि के लिए जन्मकुंडली के नवम भाव, भाग्येश और भाग्य राशि पर अधिक विचार करना चाहियें और अपके भाग्य वृद्धि में अवरोध कर रहे ग्रहों को ज्योतिष शास्त्र के उपायों के अनुसार दूर करना चाहिये। इस विशाल चारचर जगत में बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो दिन-रात कड़ी मेहनत करते है परंतु फिर भी उन्हें अपने सम्पूर्ण जीवन काल के सुखों से वंचित रहना पड़ता है और व्यक्ति का जीवन भौतिकता सुखों के अभावो से वंचित एवं व्यतीत होता जाता है। एक उदाहरण पर दृष्टि डालते हैं - जहाँ एक व्यक्ति डॉक्टर, इंजिनियर या मैनेजमेंट की पढाई करके भी नौकरी के लिए भटकता रहता है, वहीं एक अनपढ़ व्यक्ति अपना खुद का कारोबार करके इन्ही लोगो को नौकरी देता है। तो इनमे से कौन सा भाग्यशाली है। यह सारा खेल व्यक्ति के जन्मकाल से जुड़े हुये ग्रहों का है जो कर्म और भाग्य को ले कर साथ चलता है यदि
व्यक्ति का कर्म अच्छा है तो भाग्य का भी साथ होना आवश्यक होता है तभी व्यक्ति को उसका फल पूर्ण रूप से मिल पाता है। नहीं तो व्यक्ति कहीं न कहीं अधूरे में फंसा पड़ा रहता है।अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह स्पष्ट है कि मनुष्य के जीवन पर भाग्य का प्रभाव सदैव बना रहता है और जीवन के आनंदमय बनाने के लिए व्यक्ति के साथ भाग्य का साथ होना जरूरी है पर यदि आप कर्म कर रहे हैं और भाग्य आपके साथ नहीं हो तो एसी स्थिति में ज्योतिष शास्त्र के उपाय को अपने जीवन में उतार कर व्यक्ति अपने जीवन में भाग्य को प्राप्त कर सकता है और व्यक्ति को भाग्य उसके कर्म की खुशियाँ दे सकता है. इसीलिए भाग्य और ज्योतिषशास्त्र का संबंध बहुत ही विशेष होता है।

किसी परामर्श या आचार्य इंदु प्रकाश जी से मिलने हेतु संपर्क करे 9582118889
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