जानिए क्यों मनायी जाती है महावीर जयंती ।

https://www.facebook.com/acharyainduprakashofficial/



पूरे भारत वर्ष मे महावीर जयंती जैन समाज द्वारा भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप मे मनाई जाती है. जैन समाज द्वारा मनाए जाने वाले इस त्योहार को महावीर जयंती के साथ साथ महावीर जन्म कल्याणक नाम से भी जानते है। महावीर जयंती हर वर्ष चैत्र माह के 13 वे दिन मनाई जाती है जो अंग्रेजी महीनो के हिसाब से मार्च या अप्रैल मे आती है. इस दिन हर तरह के जैन दिगम्बर, श्वेताम्बर आदि एक साथ मिलकर इस उत्सव को मनाते है. भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार मे पूरे भारत मे अवकाश रहता है। जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर का जीवन उनके जन्म के ढाई हजार साल भी उनके लाखों अनुयायियों के साथ ही पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहा है। भगवान महावीर जैन धर्म में वर्तमान अवसर्पिणी काल के चौंबीसवें (२४वें) अंतिम तीर्थंकर थे । भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। महावीर को 'वर्धमान', वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है । प्रभु महावीर प्रारंभिक तीस वर्ष राजसी वैभव एवं विलास के दलदल में 'कमल' के समान रहे। मध्य के बारह वर्ष घनघोर जंगल में मंगल साधना और आत्म जागृति की आराधना में, बाद के तीस वर्ष न केवल जैन जगत या मानव समुदाय के लिए अपितु प्राणी मात्र के कल्याण एवं मुक्ति मार्ग की प्रशस्ति में व्यतीत हुए। जनकल्याण हेतु उन्होंने चार तीर्थों साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका की रचना की। इन सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएँ नहीं थीं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हो। यही महावीर का 'जीयो और जीने दो' का सिद्धांत है। कई वर्षों के बाद भी भगवान महावीर का नाम स्मरण उसी श्रद्धा और भक्ति से लिया जाता है, इसका मूल कारण यह है कि महावीर ने इस जगत को न केवल मुक्ति का संदेश दिया, अपितु मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई। भगवान महावीर ने आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु पाँच सिद्धांत हमें बताए । - सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य। दिगम्बर परम्परा के अनुसार महावीर बाल ब्रह्मचारी थे। भगवान महावीर शादी नहीं करना चाहते थे क्योंकि ब्रह्मचर्य उनका प्रिय विषय था। भोगों में उनकी रूचि नहीं थी। परन्तु इनके माता -पिता शादी करवाना चाहते थे। दिगम्बर परम्परा के अनुसार उन्होंने इसके लिए मना कर दिया था। श्वेतांबर परम्परा के अनुसार इनका विवाह यशोदा नामक सुकन्या के साथ सम्पन्न हुआ था और कालांतर में एक कन्या भी उत्पन्न हुई जिसका नाम प्रियदर्शिनी था। युवा होने पर उसका विवाह राजकुमार जमाली के साथ हुआ।


Comments

Popular posts from this blog

Acharya Indu Prakash Contact Number

जानिए कब और कैसे बनाता है जेल यात्रा का योग ।

जानिए जन्मकुंडली के साथ नवमांश कुंडली भी कैसे बताती है व्यक्ति के जीवन काल को ।