जानिए कब और कैसे बनाता है जेल यात्रा का योग ।

Jail Yog




भारतीय अखंड प्राचीन ज्योतिष विद्या  के अनुसार शनि , मंगल और राहू मुख्य रूप से यह तीन ग्रह कारावास के योग को निर्मित करने में मुख्य भूमिका निभाते है I इनके अतिरिक्त सभी लग्नों के द्वादेश , षष्ठेश एवम अष्टमेश भी इस तरह के योग बनाने में अपनी भूमिका निभाते है I इसके साथ साथ यदि महादशा , अंतर्दशा भी अशुभ ग्रहों की हो तो भी कारावास योग घटित होने के लिए उपयुक्त स्थिति बन जाती है और इस प्रकार की घटना हो सकती है, कई बार तो ऐसी स्थिति में निरपराध व्यक्ति को भी जेल जाना पड़ता हैI कई बार जन्मकुंडली में ही ऐसे योग बनते है तो कई बार ग्रहों की गोचरीय स्थिति के कारण एवं दशा अंतर्दशा के कारण अल्प समय के लिए ऐसे योग बन जाते है I जन्म कुंडली में अष्टम भाव का नीचस्थ राहू अपनी महादशा एवं अंतरदशा के दौरान जातक के जीवन में अनेक संकट खड़े करता है। इस दशा में उक्त व्यक्ति झूठे आरोप, गंभीर बीमारी, दुर्घटना, कर्ज में अनिश्चित वृद्धि, अवसाद ग्रस्त हो जाता है, जिसे ज्योतिषाचार्य जेल योग कहते हैं। जन्मकुंडली में सूर्यादि ग्रह समान संख्या में लग्न एवं द्वादश , तृतीय एवं एकादश , चतुर्थ दशम ,
षष्ठ एवं अष्टम भाव में स्थित हो तो यह बंधन योग बनाता है, यह स्थिति यदि कहीं जन्मपत्रिका में ग्रहों के गोचर के कारण बन रही हो तो उस समय में भी बंधन योग अल्प काल के लिए घटित हो सकता है I जन्म कुंडली में द्वितीय भाव में शनि एवं द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो यह योग निर्मित होगा , लेकिन यदि द्वतीय में शनि और द्वादश में मंगल के साथ किसी भी पाप या शुभ ग्रह की युति हो तो यह योग भंग हो जाता है I इस योग के फलस्वरूप व्यक्ति कैसा भी क्यों न हो उसे जीवन में इस का सामना करना पड़ता है I जेल योग, नाम सुनते ही पसीने छूट जाते हैं, लेकिन हम आपको बता दें कि जेल योग का मतलब यहां जेल जाने या सजा काटने से नहीं है, बल्कि कुण्डली में ग्रहों के दोष को दूर करने के लिए जेल की सीमा में प्रवेश करना है। वैसे तो कुण्डली से दोष मिटाने का ये तरीका वर्षों पुराना है, लेकिन अब भी इसमें विश्वास करने वालों की कमी नहीं है। इस योग में बंधनयोग कारक ग्रहों पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो इस योग बहुत ही अल्प मात्रा में फल प्राप्त होते है , और जेल यात्रा में अधिक कष्ट भी नहीँ होता है I लेकिन यदि यह योग बनाने वाले पाप ग्रहों पर अन्य पाप ग्रहों या द्वादेश की दृष्टि पड़ रही हो तो जेल यात्रा कष्टकारी व लम्बे समय के लिए हो सकती है I यह योग यदि शुभ ग्रहों से निर्मित हो रहा हो तो इस बात के संकेत देता है की जातक ने कोई अपराध नहीं किया है , अथवा बिना अपराध के सजा भोगनी पड़ रही है I यदि यह योग पाप ग्रहों से से निर्मित हो रहा हो तो इसका अर्थ है की व्यक्ति ने लालच , क्रोध , इर्ष्या या द्वेष की भावना से अपराध किया होगा I यदि आप भी अपनी जन्मकुंडली के द्वारा कारागार से संबन्धित परेशानियों से झुझ रहे हैं तो आप विश्व विख्यात ज्योतिषाचार्या  जी से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


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